हमारे विषय में
!! श्री गुरू कृपा !! !! श्री गिरिराज कृपा !! !! श्री नृःसिंह कृपा !!

मैं जिज्ञासु हूँ………………रहस्यमी शक्तियों को जानने का। इसी इच्छा शक्ति एवं श्री गुरूदेव की कृपा से मेरे परिवार को श्री गिरिराज जी द्वारा श्री नृःसिंह जी के श्री चरणों की सेवा का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
तदुपरान्त………… श्री गुरु कृपा प्राप्ति से एक प्रयास सनातन धर्म के महासमुद्र में गोता लगाने का…..कुछ रहस्मयी शक्तियों से साक्षात्कार करने का…..श्री गिरिराज महाराज एवं श्री नृःसिंह भगवान् द्वारा पग-पग पर प्रदत्त प्रेरणा से पराविज्ञान (रमल ज्योतिष) को समझने का…..तदोपरान्त जनकल्याणार्थ साक्षात् मेरे इष्टदेव श्री नृःसिंह भगवान की पग-पग पर असीम कृपा (प्रेरणा) से रहस्यमयी….. पराविज्ञान के द्वारा रमल ज्योतिष की सहायता से जिज्ञासावश वेदों के सूत्रों, को अल्प संसाधनों से जनकल्याणार्थ एक स्थल पर केन्द्रित करने का प्रयास किया था। जो स्वयं श्री नृःसिंह भगवान की असीम कृपा से आश्चर्य जनक रूप में ‘‘श्री नृःसिंह शक्ति कुण्ड एवं श्री नृःसिंह यंत्रराज’’ स्वरूप में श्री गिरिराज जी के हृदय स्थल (स्थानः- श्रीलक्ष्मी नृःसिंह नवग्रह वाटिका, लोकमणि विहार, राधाकुण्ड परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन (मथुरा) में पल्लवित हो गया है। यह श्री नृःसिंह शक्ति कुण्ड जैसे-जैसे पूर्णता को प्राप्त होगा तो इस जल में इतनी दिव्यता आ जावेगीें, जिससे असाध्य बीमारीयों डायविटीज, कैंसर और निःसन्तान दंपत्तियो को संन्तान प्रदान करने के साथ-साथ उनके समस्त संकटों का निवारण करने वाला होगा। विद्वत्जनो के कथनानुसार। (ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। क्योंकि हमारे वेद/शास्त्र असत्य नही सकते)
निजी अनुभवः- . इस वाटिका में प्रवेश के दौरान आपको अपने अन्तःकरण के अंदर चार चीजें जागृत करनी होंगी
जैसेः- दृढ़ श्रद्धा, विश्वास, भक्ति एवं धैर्य। इनके जागृत होने पर आप इस वाटिका में दर्शन मात्र से अनेक प्रकार के संकटों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
श्री गिरिराज धाम गोवर्धन में मेरी परिकल्पना जो साकार हो गयी है।
सर्व संकट निवारणार्थ/वेदोक्तः-
।। कामये दुःख तप्तानाम् प्राणिनामार्ति नाशनम् ।।
(मेरी कामना है कि दुःखों से पीड़ित प्राणियों के कष्ट दूर कर सकूँ।)
पं. कैलाश चन्द्र मिश्रा ‘‘आचार्य’’
(श्री नृःसिंह उपासक/रमल विषेषज्ञ)
जीवन परिचयः-
पिता का नाम – पं. भँवर सिंह शर्मा ‘‘जैमन’’ (स्वतंत्रता सैनानी, हस्त रेखा विशेषज्ञ)।
माता का नाम – डॉ. अंगूरी देवी शर्मा।
जाति – ब्राह्मण। गौत्र – जैमन।
जन्म तिथि – 30 नवम्बर 1959। जन्म स्थान – गोवर्धन (मथुरा) उ0प्र0।
स्थायी पता – मंदिर श्री नृःसिंह भगवान, चकलेश्वर रोड, गोवर्धन-281502 (मथुरा)
मातृभाषा – हिन्दी। शिक्षा – साहित्यिक आचार्य।

उपलब्धियां :-
1. स्वर्णपदक (3), रमल सम्राट, रमल ज्योतिष कल्पतरु, रमल ज्योतिष मनीषी, रमल ज्योतिष शिरोमणि, रमल ज्योतिष मार्तण्ड, रमल ज्योतिष पियूष, साहित्य शिरोमणि, साहित्य श्री, साहित्य रत्न, विद्यावाचस्पति एवं अन्य।
2. प्रतिभा सम्मान 2000 (श्री गिरिराज ज्योति पत्रिका)।
3. सलाहकार A B I (अमेरिकन बायोग्राफीकल इंस्टीट्यूट), कारोलीना, अमेरिका।
4. एन. एम. एफ. आई. रीजनल एक्सीलैंस अवार्ड – 2013, देहरादून।
पसन्द :-
श्री नृसिंह उपासना, रमल ज्येतिष, हस्त, तंत्र-मंत्र, प्लेंनचिट, सम्पादन।
लेखन :-
श्री नृःसिंह उपासना, रमल ज्योतिष रहस्य (निजी अनुभवों परआधारित) प्रेस में।
संपादक :-
‘‘श्री गिरिराज ज्योति’’ त्रैमासिक पत्रिका।
स्थापित :-
श्री गिरिराज धाम गोवर्धन में – मंदिर श्री नृःसिंह भगवान, चकलेयवर रोड, गोपर्धन, श्री लक्ष्मी नृःसिंह नवग्रह वाटिका (सम्पूर्ण ज्योतिषीय/वेदोक्त), (पराविज्ञान, सम्पूर्ण ज्योतिषीय, वेदोक्त, पिरामिड, आयुर्वेद, प्राकृतिक रंग चिकित्सा, यंत्र-मंत्र-तंत्र एवं निजी अनुभवों पर शोधपरक), श्री लक्ष्मी नृःसिंह नवग्रह वाटिका के प्राँगढ़ में, श्री नृःसिंह शक्ति कुण्ड, महर्षि श्री परशुराम मंदिर, श्री लक्ष्मी नृःसिंह भगवान, श्री नृःसिंह यंत्रराज, श्री नवग्रह मंदिर, सप्तवार, वारह महीना, सत्ताईस नक्षत्र, वारह राशि, पंचतत्व एवं अखण्ड श्री गिरिराज ज्योति एवं स्वतंत्रता संग्राम सैनानी स्मारक।, ।। श्री नरसिंह जय जय नरसिंह।।, जीवन के हर संकट में रमल ज्योतिष से कारण. एवं श्री नृःसिंह भगवान के द्वारा समाधान, साक्षात् भक्त वत्सल श्री नृःसिंह भगवान की कृपा से स्थापित…..पराविज्ञान एवं रमल ज्योतिष पर हमारा शोध, श्री लक्ष्मी नृःसिंह नवग्रह वाटिका, लोकमणि विहार, राधाकुण्ड परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन (मथुरा)के प्राँगढ़ में स्थापित, विश्व में प्रथमवार स्थापित श्री नृःसिंह शक्ति कुण्ड एवं श्री नृःसिंह यंत्रराज (सम्पूर्ण ज्योतिषीय/वेदोक्त)
हमारे अनुभव के द्वारा पूर्ण विधान सहित पूजा कर आप अपने जीवन में आये हुये संकट अथवा पूर्व जन्मकृत अपराधों से मुक्ति हेतु श्री नृःसिंह भगवान की कृपा प्राप्त कर सुख एवं शान्ति का अनुभव कर सकते हैं….. जैसे :-
1- यदि आप देवदोष-पितृदोष, कालसर्प दोष से परेशान हैं तो श्री नृःसिंह शक्ति कुण्ड पर शास्त्रों में वर्णित दीपदान कर अपने संकट से मुक्ति प्राप्त करें।
2- यदि आप गृहदोष, परकृत बाधा, व्यापार बृद्धि, ऋण मुक्ति, नवग्रह शान्ति, शत्रु भय एवं अक्समात् आये संकट निवारण हेतु श्री नृःसिंह भगवान को शास्त्रोक्त सामिग्री अर्पित कर अपने संकट से मुक्ति प्राप्त करें।
3- यदि आप ग्रहदोष, (मंगल, शनि, राहु-केतु की दशा, अर्न्तदशा, अनेक अपप्त्तियो, कष्टों एवं कार्यों में आ रही बाधा, असाध्य रोगों के अवसर पर अभीष्ट फल प्राप्ति के लिये अचूक अनुभव सिद्ध श्री बटुक भैरवदेव की पूजा/पाठ/अनुष्ठान करके अपने जीवन में आये हुए संकट से मुक्ति प्राप्त करें।
4- आप घर बैठे नवग्रह वाटिका में (वीडियों द्वारा) पाठ कराकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
5- कृपया ध्यान देंः- आपकी दृढ़ श्रद्धा, विश्वास, भक्ति एवं धैर्य ही आपको फल देगा। हम तो निमित्त मात्र हैं।

श्री नरसिंह यंत्रराज प्रयोग :- आप घर बैठे नवग्रह वाटिका में (वीडियों द्वारा) पाठ कराकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
हमारा पराविज्ञान की सहायता से रमल ज्योतिष पर जनकल्याणार्थ शोध पर…..
विश्व में प्रथमवार स्थापित श्री नरसिंह यंत्रराज पर सर्व कार्य सिद्वि एवं सर्व संकट निवारणार्थ किये जाने वाले प्रयोग :- यदि आप पूर्ण श्रद्धा, विश्वास, भक्ति एवं धैर्य के साथ इस यंत्र की पूजा करते हैं तो निश्चित ही श्री नृःसिंह भगवान की कृपा प्राप्त कर अपने संकट से मुक्त हो सकते हैं। श्री नृसिंह ऋणमुक्ति यंत्र पर अलग-अलग चीजें चढ़ाने से भक्तों को अलग-अलग फल मिलता है। श्री नृसिंह ऋणमुक्ति यंत्र के उपायों से हर तरह की समस्या दूर होगी ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास हैं। श्री नृःसिंह भगवान के मंदिर में जाकर उनकी फूल और चंदन से यंत्र की पूजा करें। इसके बाद जो भी आपकी मनोकामना हो उसके अनुसार भगवान को वैसी वस्तु अर्पित करें। जैसे…..
1. धन प्राप्ति के लिये इस यंत्र पर भंगवान नृःसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित नागकेशर अर्पित करें।
2. यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो इस यंत्र पर भंगवान नृःसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित मोरपंख अर्पित करें।
3. किसी कानूनी उलझन में फंसे है और कोर्ट-कचहरी में चक्कर लगाते हुए थक गए हैं तो इस यंत्र पर भगवान को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित दही अर्पित करने से मुकदमों विजय मिलती है।
4. प्रतिस्पर्धा से परेशान हैं या अन्जान शत्रुओं का डर हमेशा बना रहता है तो भगवान नृःसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित बर्फ मिला श्री नृःसिंह शक्ति कुण्ड का जल मिट्टी के पात्र में अर्पित करें। शत्रु परास्त होगें।
5. अगर कोई आपसे नाराज है या दूर हो गया है तो उससे रिश्ते को फिर वैसे ही बनाने के लिए इस यंत्र पर भगवान नरसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित मक्की का आटा चढ़ाने से रूठा व्यक्ति मान जाता है।
6. अगर आप कर्ज में डूब रहे हों या आपका पैसा मार्केट में फंस गया है, उधारी वसूल नहीं हो रही है तो इस यंत्र पर भगवान नरसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित चांदी या मोती अर्पित करने से रूका धन मिलता होता है।
7. अगर शरीर में लंबे समय से कोई बीमारी है, राहत नहीं मिल पा रही है, तो इस यंत्र पर भगवान नरसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित चंदन का लेप अर्पित करें।
8. यदि आप क्रूर ग्रहों से पीड़ित है तो इस यंत्र पर भगवान नरसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित लोहे की कील चढ़ाने से क्रूर ग्रहों के कोप से रक्षा होती है।
9. यदि आपका कोई कार्य रूका हुआ है तो भगवान नरसिंह को शायंकाल में विधान सहित भगवा ध्वज चढ़ाने से रुके कार्य में प्रगति होती है।
10. यदि क्रूर ग्रहों अथवा अन्य कारणों से किसी लड़के की शादी में बाधा आ रही है तो प्रत्येक शुक्रवार को इस यंत्र पर भगवान नरसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित सफेद वस्तु अर्पण करने से शीघ्र ही विवाह का योग वनेगा।
11. यदि क्रूर ग्रहों अथवा अन्य कारणों से किसी लड़की की शादी में बाधा आ रही है तो प्रत्येक गुरूवार को इस यंत्र पर भगवान नरसिंह को शायंकाल/रात्रि में विधान सहित पीली वस्तु अर्पण करने से शीघ्र ही विवाह का योग वनेगा।
विशेष पूजाः-
1. मुक़दमे में विजय और विरोधियों को शान्त करने के लिएः- प्रतिदिन इस यंत्र पर भगवान नरसिंह की शायंकाल/रात्रि में विधान सहित पंचोपचार अथवा षोड़शोपचार पूजा करें, पूजा में लाल पुष्प, एक लाल रेशमी धागा अर्पित करें, उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं। इसके बाद विशेष मंत्र की 5 माला जप करें। शत्रु और विरोधियों के शांत होने की प्रार्थना करें तदुपरांत सेवाधिकारी से अर्पित किए हुए धागे को दाहिने हाथ की कलाई में धारण करें।
2. कर्ज मुक्ति और धन प्राप्ति के लियेः- मंगलवार को इस यंत्र पर भगवान नरसिंह की शायंकाल/रात्रि में विधान सहित पंचोपचार अथवा षोड़शोपचार पूजा करें, तत्पश्चात श्री यंत्रराज के समक्ष तीन दीपक जलाएं, साथ ही जितनी आपकी उम्र है उतने ही लाल फूल अर्पित करें तदुपरांत विशेष मन्त्र ‘‘ऊँ ऋणमुक्तेश्वर नरसिंहाय मम् ऋण मुक्तिं शीघ्रं कुरू कुरू श्री नरसिंहाय नमः’’ का जप करते हुए मसूर की दाल (साबुत) अर्पित करें।
3. आयु रक्षा और सर्वकल्याण के लिएः- गुरूवार अथवा चतुर्दशी को इस यंत्र पर भगवान नरसिंह की शायंकाल/रात्रि में विधान सहित पंचोपचार अथवा षोड़शोपचार पूजा करें, उन्हें पीली वस्तुओं का भोग लगाएं.- इसके बाद विशेष मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करें। ‘‘उग्रं वीरं महाविष्णुं, ज्वलन्तं सर्वतोमुखं। नृःसिंहं भीषणं भद्रं, मृत्युं मृत्युं नमाम्यहं।।’’ ।। श्री नरसिंह जय जय नरसिंह।।
सर्व संकट निवारणार्थ श्री नरसिंह मंत्र-तंत्र प्रयोग :-
भगवान श्री नृःसिंह देव का प्रादुर्भाव सतयुग में अपने भक्त प्रहलाद की भक्ति और शरणागति को ही श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए बड़े ही आश्चर्यजनक रूप में खम्ब फाड़कर प्रगट हुए थे। उनके उस रौद्र रूप को देख जगजननी माँ लक्ष्मी भी डर गयीं। भगवान नरसिंह अपने भक्त की प्रार्थना पर ही शांत हुए। श्री नरहरि ने सभी भक्तों को आनन्द प्रदान किया। उन्हीं भगवान श्री नरसिंह देव के यह बीज मंत्र-तंत्र-यंत्र भक्तों के अभीष्ट की पूर्ति एवं घोर संकट में लाभ के लिए ही प्रकाशित किये जा रहे हैं। आशा है भक्तजन इनको नियम-पूर्वक करने से भगवान श्री नरसिंह देव की कृपा अवश्य ही प्राप्त होगी। जिससे आपके संकटों का निवारण हो जायेगा। भक्तजनों से विनम्र प्रार्थना है कि इस मंत्र-तंत्र का प्रयोग अपने, अपने परिवार अथवा स्वजन के कष्ट निवारण के लिए ही करें उन्हें अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी। यदि किसी का अहित सोचकर कर्म किया गया तो उन्हें सफलता नहीं मिलेगी बल्कि स्वयं उन्हें ही कष्ट प्राप्त होगा क्योंकि सत्य की हमेशा जीत होती है।
यदि आप पूरे विधि विधान से भगवान नरसिंह जी का पूजन नहीं कर सकते तो आपको चलते फिरते मानसिक रूप से जयप्रद मंत्र का जाप करना चाहिए।
श्री नरसिंह बीज मंत्र प्रयोगः- जयप्रद मंत्र- श्री नरसिंह जय जय नरसिंह! के जाप से भी मनोरथ पूरण होते हैं।
रोग मुक्ति के लिये मंत्रः- ऊँ नृं नरसिंहाय नमः। प्रातःकाल सर्व प्रथम 25 बार उक्त मंत्र का जप करके स्वयं जल को पीता है तथा भगवान श्री नृःसिंह जी को चन्दन का लेप देने से रोग मुक्ति होती है।
संतान प्राप्ति के लिये मंत्रः- ऊँ नृं नृं नरसिंहाय नमः। शायंकाल 108 बार उक्त मंत्र का जप करके विधान सहित भगवान श्री नृःसिंह जी को लाल गुलाब का पुष्प अर्पित किया जाये तो कृपा प्राप्त होती है।
धन लाभ एवं अन्य संकट निवारण के लिये मंत्रः- ऊँ नृं नृं नृं नरसिंहाय नमः।
1. भगवान नरसिंह को रात्रि में विधान सहित नागकेशर अर्पित करने से धन लाभ मिलता है।
2. भगवान नरसिंह को रात्रि में विधान सहित मोर पंख चढ़ाने से कालसर्प दोष दूर होता है।
3. भगवान नरसिंह को रात्रि में विधान सहित दही अर्पित करने से मुकदमों में विजय मिलती है।
4. भगवान नरसिंह को रात्रि में विधान सहित बर्फीला पानी अर्पित करने से शत्रु पस्त होते हैं।
5. भगवान नरसिंह को रात्रि में विधान सहित मक्की का आटा चढ़ाने से रूठा व्यक्ति मान जाता है।
6. भगवान नरसिंह को रात्रि में विधान सहित लोहे की कील चढ़ाने से बुरे ग्रह टलते हैं।
7. भगवान नरसिंह को रात्रि में विधान सहित चाँदी और मोती चढ़ाने से रूका धन मिलता है।
8. भगवान नरसिंह को शायंकाल में विधान सहित भगवा ध्वज चढ़ाने से रूके कार्य में प्रगति होती है।
यह सभी प्रयोग श्री नृःसिंह भगवान के मंदिर में ही करें। विशेष विधान वहाँ के सेवाधिकारी से पूछ लें अथवा हमसे सम्पर्क करें।
पं. कैलाश चन्द्र मिश्रा ‘आचार्य’ (श्री नृःसिंह उपासक/रमल विशेषज्ञ)
संस्थापकः- मंदिर श्री नृःसिंह भगवान, श्री लक्ष्मी नृःसिंह नवग्रह वाटिका, के प्रॉग्रढ़ में विश्व में प्रथवार
श्री नृःसिंह शक्ति कुण्ड एवं श्री नृःसिंह यंत्रराज